Tuesday, 25 January 2022

 

Interesting Facts about REPUBLIC DAY
 


Republic Day is a national holiday in India, when the country marks and celebrates the date on which the Constitution of India came into effect on 26, January 1950, Here some interesting information about Republic Day-
• The first Republic Day was celebrated three years after we got Independence on January 26, 1950.
• The Indian Constitution was drafted in 2 years 11 months and 18 day
• There are only two original handwritten copies of the Constitution in Hindi and English. These copies re kept in helium-filled cases in the Parliament.
• The first Republic Day parade took place on January 26, 1950 and the Indonesian President Dr Sukarno was the chief guest.
• The original handwritten copies of the Indian Constitution were signed by 308 members of the Assembly on January 24, 1950.
• The Constituent Assembly was headed by Dr Rajendra Prasad. Dr BR Ambedkar was made the Chairman of the Drafting Committee. Dr Ambedkar is also known as "Architect of the Constitution of India".
• India is celebrating its 73th  Republic Day on 26th January 2022.
• Dr. Rajendra Prasad was the first person to take the Oath of Presidentship. He was also the first President of India.
• The Oath was taken place at Dubar Hall of government house on January 26th, 1950.
• The first R-Day parade at Rajpath was held in 1955.
• A Christian song, Abide With Me, is played at the Republic Day Parade. It is believed to be one of Mahatma Gandhi’s favourite songs
• The Indian Constitution features 448 articles and 12 schedules.
• There will be no chief guest at Republic Day parade on Janpath this year. 

Saturday, 22 January 2022

Netaji Subhash Chandra Bose

 

Date of Birth: January 23, 1897
Place of Birth: Cuttack, Odisha
Parents: Janakinath Bose (father) and Prabhavati Devi (mother)
Spouse: Emily Schenkl
Children: Anita Bose Pfaff
Education: Ravenshaw Collegiate School, Cuttack; Presidency College, Calcutta; University of Cambridge, England
Associations (Political Party): Indian National Congress; Forward Bloc; Indian National Army
Movements: Indian Freedom Movement
Political Ideology: Nationalism; Communism; Fascism-inclined
Religious Beliefs: Hinduism

Subhash Chandra Bose was born on 23 January, 1897 in Cuttack (Orissa) to Janakinath Bose and Prabhavati Devi. Janakinath Bose was one of the successful lawyer in Cuttack and received the title of “Rai Bahadur”. He, later became a member of the Bengal Legislative Council.

         He was a very intelligent and sincere student but never had much interest in sports. He passed his B.A. in Philosophy from the Presidency College in Calcutta. He was strongly influenced by Swami Vivekananda’s teachings and was known for his patriotic zeal as a student. He also adored Vivekananda as his spiritual .

       He went to England to accomplish his parents’ desire to appear in the Indian Civil Services. In 1920 he appeared for the competitive examination and stood fourth in the order of merit.

         After he returned to India, Subhash Chandra Bose was influenced by Mahatma Gandhi views. He then joined the Indian National Congress and worked under the leadership of Deshbandhu Chittaranjan Das, who later became his political guru.He started the newspaper 'Swaraj'.

          In 1923, He was elected leader of the All India Youth Council and secretary of the Bengal State Congress.

He was sent to jail in 1930 during the Civil Disobedience movement but was related along with other prominent leaders in the year 1931 when the Gandhi-Irwin pact was signed

          He faced vehement objections from inside the Congress which led him to resign from INC and formed a progressive group known as the Forward Block.

          Subhas Chandra Bose now started a mass movement against utilizing Indian resources and men for the great war.Calcutta. In January 1941, Subhas Chandra Bose disappeared from his home in Calcutta and reached Germany via Afghanistan. Working on the maxim that "an enemy's enemy is a friend"

           In January 1942, he began his regular broadcasts from Radio Berlin.

             Rash Behari handed over about 40,000 soldiers from Singapore and other eastern regions to Netaji Subhash Chandra Bose. Netaji Bose called it the Indian National Army (INA) and a government by the name “Azad Hind Government”  was declared on the 21st of October 1943. INA freed the Andaman and Nicobar islands from the British and were renamed as Swaraj and Shaheed islands. 

             In 1945  Subhas Chandra Bose disappeared. Bose was announced to have died in a plane crash on the way to Taiwan, but this has been hotly disputed and never confirmed

             In honour of his contribution to the freedom struggle recently it was announced that his birthday is celebrated as “PARAKRAM DIWAS”

Quiz on Netaji Subhash Chandra Bose on occassion of his 125th Birth Anniversary

 Subhash Chandra Bose Quiz

Sunday, 16 January 2022

राष्ट्रीय सेना दिवस

 


 हर वर्ष 15 जनवरी को पूरे उत्साह के साथ भारत में सैनिक दिवस मनाया जाता है। इसकी शुरुआत भारत के लेफ्टीनेंट जनरल के.एम. करियप्पा को सम्मान देने के लिये हुई जो भारत के पहले प्रधान सेनापति थे। कई दूसरे मिलिट्री प्रदर्शनी सहित सैनिक परेड आयोजन के द्वारा राष्ट्रीय राजधानी और सभी सैनिक नियंत्रण हेड-क्वार्टर में हर साल इसे मनाया जाता है।

भारतीय सेना की उत्पत्ति ईस्ट इंडिया कंपनी की सेनाओं से हुई थी जो कि आगे चलकर ब्रिटिश भारतीय सेना’ कहलायी और अंततः स्वतंत्रता के बाद राष्ट्रीय सेना बन गईं थी. भारत को लगभग 200 वर्षों तक अंग्रेजी शासन की गुलामी के बाद 15 अगस्त 1947 को आजादी प्राप्त हुई थी. जब भारत स्वतंत्र हुआतो देश भर में अराजकता का माहौल था चारों तरफ दंगे-फसादों तथा शरणार्थियों के आवागमन के कारण उथल-पुथल का माहौल था।

इस कारण कई प्रशासनिक समस्याएं पैदा होने लगीं और फिर स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सेना को आगे आना पड़ा ताकि विभाजन के दौरान शांति-व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके।

भारत की आजादी के बाद से 14 जनवरी 1949 तक भारतीय सेना की कमान अंग्रेज कमांडर जनरल रॉय फ्रांसिस बूचर के पास थीअर्थात भारत की आजादी के बाद तक भारतीय सेना के अध्यक्ष ब्रिटिश मूल के ही हुआ करते थे।

अगस्त 15, 1947 को मिली आजादी के बाद भारत की सम्पूर्ण सत्ता भारतीयों के हाथों में सौंपने का समय था. इसलिए 15 जनवरी 1949 को फील्ड मार्शल के. एम. करिअप्पा स्वतंत्र भारत के पहले भारतीय सेना प्रमुख बने थे. चूंकि यह मौका भारतीय सेना के लिए एक बहुत ही उल्लेखनीय था इसलिए भारत में हर साल इस दिन को सेना दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया गया और तब से अब तक यह परंपरा चली आ रही है। अतः सेना की कमान भारत के हाथों में आने के कारण ही 15 जनवरी को सेना दिवस मनाया जाता है.

भारतीय सेना से जुड़े रोचक तथ्य

1. भारतीय सेना को दुनिया की सबसे बड़ी स्वैच्छिक सेना माना जाता है।

2. भारतीय सेना विश्व की सबसे ऊँची रणभूमि सियाचिन ग्लेशियर” को नियंत्रित करती है। जिसकी कुल ऊंचाई समुन्द्र तल से 5000 मीटर है।

3. भारत द्वारा 1970 और 1990 में परमाणु परीक्षण किया गया था इस परीक्षण के बारे में दुनिया की सबसे ताकतवर खुफिया एजेंसी सीआईए को भी पता नहीं चला था और यह सीआईए की अब तक की सबसे बड़ी असफलता रही है।

4. भारत में अन्य सरकारी संगठनों और संस्थाओं या इंडियन आर्मी में किसी भी व्यक्ति किस जाति या धर्म है वह नहीं देखा जाता। और भारत में ऐसी संस्थाओं या संगठन में किसी भी जाति के व्यक्ति के लिए समान अधिकार प्राप्त है।

5. पूरे एशिया की सबसे बड़ी अकैडमी भारत के केरल राज्य की एजिमाला नौसेना है।

6. भारतीय सेना को घुड़सवार सेना की रेजीमेंट भी मिली हुई है ऐसी रेजीमेंट दुनिया में सिर्फ तीन ही है।

7. भारतीय वायुसेना आउट स्टेशन ताजीकिस्तान मै है।

8. भारतीय सेना द्वारा भारत के सबसे ऊंचे पुल का निर्माण किया गया है यह लद्दाख वैली में द्रास और सुरू नदी के बीच बनाया गया है। इस पुल का निर्माण भारतीय सेना ने अगस्त 1983 में कर दिया था।

9. भारत और पाकिस्तान के बीच सन् 1971 में युद्ध हुआ था। और उस समय खत्म हो गया था जब पाकिस्तानी सेना ने 93000 जवानों ने इंडियन आर्मी के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। दूसरे विश्व युद्ध के बाद यह सबसे बड़ा आत्मसमर्पण था जो पाकिस्तानी सेना द्वारा किया गया था।

10.अक्सर कई लोकप्रिय और महान हस्तियों को सशस्त्र बलों की मानद रैंक से सम्मानित किया जाता है सचिन तेंदुलकर को भारतीय वायु सेना द्वारा कप्तान का रैंक द्वारा सम्मानित किया गया है और महेंद्र सिंह धोनी को भारतीय सेना द्वारा लेफ्टी नेट की पद में पद से सम्मानित किया गया है।

11. सन् 1776 में कोलकाता में ईस्ट इंडिया कंपनी के सरकार के दौरान इंडियन आर्मी का गठन हुआ था।

12. भारतीय सेना के पास यूएसए और चीन के बाद विश्व का तीसरा सबसे बड़ा मिलिट्री कंटिंजेंट है।

13. हिमालय के द्रास और सुरु नदियों के बीच स्थित बेली ब्रिज विश्व का सबसे बड़ा ब्रिज है. इसे भारतीय सेना ने 1982 में बनाया था।

14. दूसरे सरकारी संगठनों की तुलना में इंडियन आर्मड फोर्सेज में जाति या धर्मो के आधार पर मिलने वाली आरक्षण की व्यवस्था नहीं है।

15. विश्व का सबसे बड़ा सिविलियन रेस्क्यू ऑपरेशन 2013 में उत्तराखंड के बाढ़ पीड़ितों को बचाने के लिए चलाया गया था।

16. प्रेसिडेंट के बॉर्डीगार्ड भारतीय सेना के सबसे पुराने सैन्य दल हैं। इसे 1773 में स्थापित किया गया था। यह अभी नई दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में तैनात है।

17. भारतीय सेनामिलिट्री कूप में आज तक शामिल नहीं हुई है और उसने किसी भी युद्ध में हमले की पहले शुरुआत नहीं की है।

18. दिसम्बर, 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए लोंगेवाला के युद्ध में सिर्फ 2 जवान हताहत हुए थे. इस युद्ध पर बॉलीवुड की पॉपुलर मूवी बॉर्डर’ भी बनी थी।

19. भारतीय सेना विश्व की सबसे बड़ी वोलेंटरी आर्मी हैभारतीय सेना के पास विश्व में सबसे ज्यादा सैनिक है।

20. भारतीय सेना जंगलों में लड़ने के मामले में दुनिया की सबसे बेहतरीन सेना है। भारत की इस अदभुत क्षमता को जानने के लिए अमेरिकाब्रिटेन और रूस जैसे कई देश अक्सर यहाँ का दौरा करते रहते हैं। और भारतीय सेना के बारे में जानने की कोशिश करते है।

21.भारतीय सेना ने 2013 में ऑपरेशन राहत चलाया को था। जिसे अब तक का सबसे बडा़ बचाव मिशन कहा जाता है। यह मिशन भारतीय वायु सेना ने चलाया था। उत्तराखंड में आई भयंकर बाढ़ के दौरान इन जांबाज सैनिकों ने 20 हजार लोगों की जान बचाई थी।

स्वामी विवेकानन्द

 


निबंध लेखन 

SLOGAN



स्वामी विवेकानन्द

 

स्वामी विवेकानन्द

पूरा नाम (Name)

नरेंद्रनाथ विश्वनाथ दत्त

जन्म (Birthday)

12 जनवरी 1863

जन्मस्थान (Birthplace)

कलकत्ता (पं. बंगाल)

पिता (Father Name)

विश्वनाथ दत्त

माता (Mother Name)

भुवनेश्वरी देवी

घरेलू नाम

नरेन्द्र और नरेन

मठवासी बनने के बाद नाम

स्वामी विवेकानंद 

भाई-बहन

9

गुरु का नाम

रामकृष्ण परमहंस

शिक्षा (Education)

1884 मे बी. ए. परीक्षा उत्तीर्ण

विवाह (Wife Name)

विवाह नहीं किया

संस्थापक

रामकृष्ण मठरामकृष्ण मिशन

फिलोसिफी

आधुनिक वेदांतराज योग

साहत्यिक कार्य 

  • राज योग,
  • कर्म योग,
  • भक्ति योग,
  • मेरे गुरु,
  • अल्मोड़ा से कोलंबो तक दिए गए व्याख्यान

अन्य महत्वपूर्ण काम

  • न्यूयार्क में वेदांत सिटी की स्थापना,
  • कैलिफोर्निया में शांति आश्रम और भारत में अल्मोड़ा के पास अद्धैत आश्रम” की स्थापना।

कथन

उठोजागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाये

मृत्यु तिथि (Death)

 4 जुलाई, 1902

मृत्यु स्थान

बेलूरपश्चिम बंगालभारत

       स्वामी विवेकानन्द वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे। उनका वास्तविक नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था। बचपन में वीरेश्वर नाम से पुकारे जाने वाले एक स्वामी विवेकानन्द कायस्थ परिवार में जन्में थे। विवेकानंद के पिता कलकत्ता हाईकोर्ट के प्रतिष्ठित वकील थे। परिवार में दादा के संस्कृत और फारसी के विध्वान होने के कारण घर में ही पठन-पाठन का माहौल मिला था। 

• 1884 का समय उनके लिए बेहद दुखद था। क्योंकि अपने पिता को खो दिया था। पिता की मृत्यु के बाद उनके ऊपर अपने 9 भाईयो-बहनों की जिम्मेदारी आ गई। लेकिन वे घबराए नहीं और हमेशा अपने दृढ़संकल्प में अडिग रहने वाले जिम्मेदारी को बखूबी निभाया। 1889 में नरेन्द्र का परिवार वापस कोलकाता लौटा। बचपन से ही विवेकानंद प्रखर बुद्धि के थे।

• बचपन से ही बड़ी जिज्ञासु प्रवृत्ति के थे। यही वजह है कि उन्होनें एक बार महर्षि देवेन्द्र नाथ से सवाल पूछा था। कि ‘क्या आपने ईश्वर को देखा है?’ नरेन्द्र के इस सवाल से महर्षि आश्चर्य में पड़ गए थे  उन्होनें इस जिज्ञासा को शांत करने के लिए विवेकानंद जी को रामकृष्ण परमहंस के पास जाने की सलाह दी जिसके बाद उन्होनें उनके अपना गुरु मान लिया और उन्हीं के बताए गए मार्ग पर आगे बढ़ते चले गए।

• इस दौरान विवेकानंद जी रामकृष्ण परमहंस से इतने प्रभावित हुए कि उनके मन में अपने गुरु के प्रति कर्तव्यनिष्ठा और श्रद्धा बढ़ती चली गई। 25 साल की उम्र में स्वामी विवेकानन्द ने गेरुआ वस्त्र पहन लिए और बाद वे पूरे भारत वर्ष की पैदल यात्रा के लिए निकल पड़े।

• 1893 में विवेकानंद शिकागो पहुंचे जहां उन्होनें विश्व धर्म सम्मेलन में हिस्सा लिया। इस दौरान एक जगह पर कई धर्मगुरुओ ने अपनी किताब रखी वहीं भारत के धर्म के वर्णन के लिए श्री मद भगवत गीता रखी गई थी। जिसका खूब मजाक उड़ाया गया, लेकिन जब विवेकानंद में अपने अध्यात्म और ज्ञान से भरा भाषण की शुरुआत की तब सभागार तालियों से गड़गड़ाहट से गूंज उठा।

• 04 जुलाई 1902 को 39 साल की उम्र में स्वामी विवेकानन्द मृत्यु हो गई। वहीं उनके शिष्यों की माने तो उन्होनें महा-समाधि ली थी। उन्होंने अपनी भविष्यवाणी को सही साबित किया की वे 40 साल से ज्यादा नहीं जियेंगे। वहीं इस महान पुरुषार्थ वाले महापुरूष का अंतिम संस्कार गंगा नदी के तट पर किया गया था। 

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