Sunday 16 January 2022

स्वामी विवेकानन्द

 

स्वामी विवेकानन्द

पूरा नाम (Name)

नरेंद्रनाथ विश्वनाथ दत्त

जन्म (Birthday)

12 जनवरी 1863

जन्मस्थान (Birthplace)

कलकत्ता (पं. बंगाल)

पिता (Father Name)

विश्वनाथ दत्त

माता (Mother Name)

भुवनेश्वरी देवी

घरेलू नाम

नरेन्द्र और नरेन

मठवासी बनने के बाद नाम

स्वामी विवेकानंद 

भाई-बहन

9

गुरु का नाम

रामकृष्ण परमहंस

शिक्षा (Education)

1884 मे बी. ए. परीक्षा उत्तीर्ण

विवाह (Wife Name)

विवाह नहीं किया

संस्थापक

रामकृष्ण मठरामकृष्ण मिशन

फिलोसिफी

आधुनिक वेदांतराज योग

साहत्यिक कार्य 

  • राज योग,
  • कर्म योग,
  • भक्ति योग,
  • मेरे गुरु,
  • अल्मोड़ा से कोलंबो तक दिए गए व्याख्यान

अन्य महत्वपूर्ण काम

  • न्यूयार्क में वेदांत सिटी की स्थापना,
  • कैलिफोर्निया में शांति आश्रम और भारत में अल्मोड़ा के पास अद्धैत आश्रम” की स्थापना।

कथन

उठोजागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाये

मृत्यु तिथि (Death)

 4 जुलाई, 1902

मृत्यु स्थान

बेलूरपश्चिम बंगालभारत

       स्वामी विवेकानन्द वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे। उनका वास्तविक नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था। बचपन में वीरेश्वर नाम से पुकारे जाने वाले एक स्वामी विवेकानन्द कायस्थ परिवार में जन्में थे। विवेकानंद के पिता कलकत्ता हाईकोर्ट के प्रतिष्ठित वकील थे। परिवार में दादा के संस्कृत और फारसी के विध्वान होने के कारण घर में ही पठन-पाठन का माहौल मिला था। 

• 1884 का समय उनके लिए बेहद दुखद था। क्योंकि अपने पिता को खो दिया था। पिता की मृत्यु के बाद उनके ऊपर अपने 9 भाईयो-बहनों की जिम्मेदारी आ गई। लेकिन वे घबराए नहीं और हमेशा अपने दृढ़संकल्प में अडिग रहने वाले जिम्मेदारी को बखूबी निभाया। 1889 में नरेन्द्र का परिवार वापस कोलकाता लौटा। बचपन से ही विवेकानंद प्रखर बुद्धि के थे।

• बचपन से ही बड़ी जिज्ञासु प्रवृत्ति के थे। यही वजह है कि उन्होनें एक बार महर्षि देवेन्द्र नाथ से सवाल पूछा था। कि ‘क्या आपने ईश्वर को देखा है?’ नरेन्द्र के इस सवाल से महर्षि आश्चर्य में पड़ गए थे  उन्होनें इस जिज्ञासा को शांत करने के लिए विवेकानंद जी को रामकृष्ण परमहंस के पास जाने की सलाह दी जिसके बाद उन्होनें उनके अपना गुरु मान लिया और उन्हीं के बताए गए मार्ग पर आगे बढ़ते चले गए।

• इस दौरान विवेकानंद जी रामकृष्ण परमहंस से इतने प्रभावित हुए कि उनके मन में अपने गुरु के प्रति कर्तव्यनिष्ठा और श्रद्धा बढ़ती चली गई। 25 साल की उम्र में स्वामी विवेकानन्द ने गेरुआ वस्त्र पहन लिए और बाद वे पूरे भारत वर्ष की पैदल यात्रा के लिए निकल पड़े।

• 1893 में विवेकानंद शिकागो पहुंचे जहां उन्होनें विश्व धर्म सम्मेलन में हिस्सा लिया। इस दौरान एक जगह पर कई धर्मगुरुओ ने अपनी किताब रखी वहीं भारत के धर्म के वर्णन के लिए श्री मद भगवत गीता रखी गई थी। जिसका खूब मजाक उड़ाया गया, लेकिन जब विवेकानंद में अपने अध्यात्म और ज्ञान से भरा भाषण की शुरुआत की तब सभागार तालियों से गड़गड़ाहट से गूंज उठा।

• 04 जुलाई 1902 को 39 साल की उम्र में स्वामी विवेकानन्द मृत्यु हो गई। वहीं उनके शिष्यों की माने तो उन्होनें महा-समाधि ली थी। उन्होंने अपनी भविष्यवाणी को सही साबित किया की वे 40 साल से ज्यादा नहीं जियेंगे। वहीं इस महान पुरुषार्थ वाले महापुरूष का अंतिम संस्कार गंगा नदी के तट पर किया गया था। 

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